मानव धर्म
जिन मुश्किलों में मुसकराना हो मना ,
उन मुश्किलों में मुसकराना धर्म हैं !
जिस वक्त जीना गैरमुमकिन - सा लगे
उस वक्त जीना फर्ज़ है इंसान का ,
लाजिम लहर के साथ है तब खेलना ,
जब हो समुंदर पर नशा तूफ़ान का ,
जिस वायु का दीपक बुझाना ध्येय हो ,
उस वायु में दीपक जलाना धर्म है !
अधिकार जब अधिकार पर शासन करे ,
तब छीनना अधिकार ही कर्तव्य है ,
संहार ही हो जब सृजन के नाम पर
तब सृजन का संहार ही भवितव्य हैै ,
बस गरज यह गिरते हुए इंसान को ,
हर तरह हर विधि उठाना धर्म है !
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