Saturday, 11 February 2017

BASANT RITU (SPRING SEASON)

वसंत ऋतु


भारत की धरा प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से विश्व में अनूठा स्थान रखती है। प्रकृति की ओर से भारत को बहुमूल्य उपहार छः ऋतुएँ के रूप में मिला है।  जिनमें ग्रीष्म , वर्षा , शरद् , हेमंत , शिशिर , तथा वसंत ऋतुएँ है .

वसंत ऋतु को ऋतुराज कहा गया है।  वसंत में नवस्फुरण है - नवोन्मेष , इस मौसम में भारतीय वर्ष का अंत और आरंभ दोनो शामिल है . वसंत प्रेम का ऐसा कुंभ है , जहां हम सजीव स्नान करते रहते है। माघ शुल्क पंचमी से शुरुआत होने के साथ ही प्रकृति में एक ऐसी रसवती धारा प्रस्फुटित होती है , जिसमें संगीत , साहित्य , कलाएं आदि अनेक मनमोहक तत्वों का समावेश रहता है। माँ सरस्वती की कृपा से पंचमी से अद्भुत दृश्यावलियों दिखती है : प्रेम की , विद्या की , लिपियों की , इसलिए इस दिन का अबूझ मुहूर्तवाला भी माना जाता है , यानी इस दी जो कुछ भी किया जाये , वह सब कुछ शुभ एवं मांगलिक होता है। वसंत कविता और कला का घर है। इस ऋतु  के स्वागत में हर पुष्प , हर कली , हर पत्ती हर्ष के साथ कविता - पाठ करती है।


यह जीवन और कला को संयुक्त करता है। हमारे आंतरिक मनोभावों में आत्मीय उल्लास भर देता है। हम जीना सीखें , अपनी इंद्रियों व वैयक्तिकता का द्वार खोलें , बीती बातों को भूल कर जीवन को नयेपन के एहसास से भर लें , सबको अपना बनाएं सबका दुःख - दर्द , हर्ष - विषाद बांटें वसंत हमे यही सिखाता है। वसंत केवल कवि की कल्पना में ही रमणीय नहीं है , सचमुच में वसंत के आगमन से प्रकृति रमणीय व मनमोहक लगने लगती है। पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी दोनों समस्तरीय प्रतीत हो जाते है। वसंत शीत व ग्रीष्म का मध्यमार्ग कहलाता है। तरह - तरह के फूलों से सम्पूर्ण प्रकृति महक उठती है। मलय - समीर मंद चाल से प्रवाहित होता है।

चंद्रमा की दुग्ध स्निग्ध ज्योत्स्ना , करवल करते पक्षियों का झुंड , कोयल कूक , फूलों की खुशबू आदि समस्त मनोहारी दृश्य , इस मौसम में मन को आल्हादित करते है। वसंत ऋतु पुरातनकाल से वर्तमानकाल तक मनुष्य को सम्मोहित करती रही है। वसंत हमारे जीवन के राग का रूपक है।  वसंत का अर्थ है : अपने सम्पूर्ण अस्तित्व का सृजनात्मक राग। इस अनगढ़ आदिम उष्मामर्य राग  को गाते हुए ही हम इसके विलक्षण सौंदर्य का अनुभव कर  सकते है। 'काम' ने एक बार कहा था - में प्रेम करता हूँ , इसलिए बगावत करता हूँ।

वसंत ऋतु हमारी आत्मा की उदासीनता को धोकर मस्ती भरी भाषा का आविष्कार करती है। वह कल्पनाशीलता , पुनर्नवीकरण , प्रेम , सम्मोहन जादू रचती है। उसमे एक लालित्य है। वसंत ऋतु में पत्र - पुष्प , खान - पान , गीत - संगीत , वस्त्र - विन्यास , इन सबमें एक नयी ज्यामिति होती है। वसंत के आते ही होली के गीत प्रारम्भ हो जाते है। इन गीतों में मादकता , मस्ती , उल्लास , किसानों के जीवन के विविध प्रसंग आदि शामिल होते है। इन गीतों में संबंधों की अनेक वर्जनाएं टूट जाती है।  वसंत युवता का प्रतिक है। एक दूसरे के प्रति सघन अनुभूति प्रदर्शित करने की ऋतू का नाम है - वसंत। आज जबकि कला की दुनिया उद्दोग और धनलिप्सा के मोह में डूबती जा रही है , वहीं वसंत में मौन की भाषा और रंग के रस की तलाश है।

दूसरे शब्दों में कहें तो प्रसन्न धरती और उसकी अनेक भव्यताओं के लिये हमारी उत्कट चाहत व तीव्र लालसा ही वसंत है। भारतीय धरती को फिर अपने द्वारा रचित स्वयं की दृष्टि से देखने की मांग करती है।

                                                         स्वागतं वसंत 

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