वसंत ऋतु
भारत की धरा प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से विश्व में अनूठा स्थान रखती है। प्रकृति की ओर से भारत को बहुमूल्य उपहार छः ऋतुएँ के रूप में मिला है। जिनमें ग्रीष्म , वर्षा , शरद् , हेमंत , शिशिर , तथा वसंत ऋतुएँ है .
वसंत ऋतु को ऋतुराज कहा गया है। वसंत में नवस्फुरण है - नवोन्मेष , इस मौसम में भारतीय वर्ष का अंत और आरंभ दोनो शामिल है . वसंत प्रेम का ऐसा कुंभ है , जहां हम सजीव स्नान करते रहते है। माघ शुल्क पंचमी से शुरुआत होने के साथ ही प्रकृति में एक ऐसी रसवती धारा प्रस्फुटित होती है , जिसमें संगीत , साहित्य , कलाएं आदि अनेक मनमोहक तत्वों का समावेश रहता है। माँ सरस्वती की कृपा से पंचमी से अद्भुत दृश्यावलियों दिखती है : प्रेम की , विद्या की , लिपियों की , इसलिए इस दिन का अबूझ मुहूर्तवाला भी माना जाता है , यानी इस दी जो कुछ भी किया जाये , वह सब कुछ शुभ एवं मांगलिक होता है। वसंत कविता और कला का घर है। इस ऋतु के स्वागत में हर पुष्प , हर कली , हर पत्ती हर्ष के साथ कविता - पाठ करती है।